होम्योपैथिक दवा एगैरिकस (Agaricus) के लक्षण उपयोग फायदे - Ayurveda and Home Remedies

होम्योपैथिक दवा एगैरिकस (Agaricus) के लक्षण उपयोग फायदे


प्रमुख लक्षण
(1) मांसपेशियों, अंगों का फड़कना
(2) मांसपेशियों का थरथराना, सोने पर थरथराना बन्द ही जाना
(3) शरीर की त्वचा पर चींटियों के चलने-जैसा अनुभव होना
(4) वृद्धावस्था या अति-मैथुन से शारीरिक शिथिलता आ जाना
(5) शीत से त्वचा का सूज जाना
(6) चुम्बन की अति तीव्र-इच्छा
(7) मेरु-दण्ड को रोग
(8) जरायु का बाहर निकल पड़ने का-सा अनुभव होना
(9) रोग के लक्षणों का तिरछा-भाव
(10) क्षय-रोग की प्रारंभिक अवस्था


लक्षणों में कमी
(i) शारीरिक-श्रम से लक्षणों में कमी
(ii) धीरे-धीरे चलने-फिरने से लक्षणों में कमी

लक्षणों में वृद्धि
(i) सर्दी से, ठडी हवा सें वृद्धि
(ii) मानसिक-श्रम से वृद्धि
(iii) मैथुन से लक्षणों में वृद्धि
(iv) भोजन के बाद वृद्धि
(v) आँधी-तूफान से वृद्धि
(vi) मासिक-धर्म के दिनों में लक्षणों में वृद्धि

लक्षण वर्णन-
* वृद्धावस्था या अति-मैथुन से शारीरिक शिथिलता तथा मेरु-दण्ड (spinal cord) के रोग – वृद्धावस्था में मनुष्य के रुधिर की गति धीमी पड़ जाती है, शरीर में झुर्रियां पड़ जाती हैं, सिर के बाल झड़ने लगते हैं। वृद्धावस्था के अतिरिक्त युवक लोग भी जब अति-मैथुन करने लगते हैं तब उनका स्वास्थ्य भी गिर जाता है, वे निस्तेज हो जाते हैं। वृद्धावस्था में रक्तहीनता के कारण और युवावस्था में अति-मैथुन के कारण या अन्य किसी कारण से रोगी में मेरु दण्ड (spinal cord) संबंधी उपद्रव होने लगते हैं। ये उपद्रव हैं-मांसपेशियों का फड़कना, कमर-दर्द, पीठ का कड़ा पड़ जाना, मेरु-दण्ड का अकड़ जाना आदि। पैरों में चलने की जान नहीं रहती, चक्कर आता है, सिर भारी हो जाता है, उत्साह जाता रहता है, काम करने का जी नहीं करता। युवा व्यक्तियों में जब अति-मैथुन से उक्त-लक्षण प्रकट होने लगते हैं, तब एगैरिकस की कुछ बूंदें मस्तिष्क के स्नायुओं को शान्त कर देती हैं। स्नायु-प्रधान स्त्रियां मैथुन के उपरान्त हिस्टीरिया-ग्रस्त हो जाती हैं, बेहोश हो जाती हैं। उनके लिये भी यह औषधि लाभकारी है। यह स्मरण रखना चाहिये कि केवल बुढ़ापा आ जाने से एगैरिकस नहीं दिया जाता। होम्योपैथी में कोई औषधि केवल एक लक्षण पर नहीं दी जाती, लक्षण-समष्टि देखकर ही औषधि का निर्णय किया जाता है।

* मासपेशियों तथा अंगों का फड़कना – मासपेशियों तथा अंगों का फड़कना एगैरिकस औषधि का मुख्य लक्षण है। मांसपेशियां फड़कती हैं, आंख फड़कती है, अंगों में कपन होता है। यह कपन अगर बढ़ जाय, तो तांडव-रोग (Chorea) के लक्षण प्रकट होने लगते हैं। एगैरिकस को कंपन की औषधि (Jerky medicine) कहा जाता है।

* मांसपेशियों का थरथराना और सोने पर थरथराना बन्द हो जाना – मांस-पेशियों अथवा अंगों के फड़कने, थरथराने या कंपन में विशेष बात यह होती है कि जब तक रोगी जागता रहता है तभी तक यह कपन जारी रहती है, उसके सोते ही यह कंपन बन्द हो जाता है।

* शीत से त्वचा का सूज जाना (chilblain) – बरफ से जब त्वचा सूज जाती हैं, उसमें लाल दाग पड़ जाते हैं, इस कारण त्वचा में बेहद खुजली तथा जलन होती है -ऐसी अवस्था में एगैरिकस अच्छा काम करती है।

* चुम्बन की अति-तीव्र इच्छा – स्त्री तथा पुरुष में जब वैषयिक इच्छा तीव्र हो जाती है, जिस-किसी को चूमने की इच्छा रहती है, आलिंगन की प्रबल इच्छा, मैथुन को बाद अत्यन्त शक्तिहीनता, मैथुन को बाद मेरु-दण्ड के रोगों की प्रबलता, मेरु-दण्ड में जलन, अंगों का शिथिलता – ऐसी हालत में एगैरिकस औषधि उपयुक्त है।

* मेरु-दण्ड (spinal cord) के रोग – एगैरिकस औषधि में मेरु-दण्ड के अनेक रोग आ जाते हैं। उदाहरणार्थ, सारे मेरु-दण्ड का कड़ा पड़ जाना, ऐसा अनुभव होना कि अगर मैं झुकूँगा तो पीठ टूट जायगी, मेरु-दण्ड में जलन, पीठ की मांसपेशियों का थिरथिराना, मेरु-दण्ड में थिरथिराहट, मेरु-दण्ड में भिन्न-भिन्न प्रकार की पीड़ा, पीठ में दर्द जो कभी ऊपर कभी नीचे को जाता है। स्त्रियों में कमर के नीचे दर्द होता है। अंगों का फड़कना थिरथिराना आदि मेरु-दण्ड के रोग के ही लक्षण है।

* शरीर की त्वचा पर चींटियों के चलने जैसा अनुभव – सारे शरीर में ऐसा अनुभव होता है जैसे शरीर पर चींटिया चल रही हैं। यह अनुभव केवल त्वचा पर ही सीमित नहीं रहता। त्वचा के भीतर रोगी की मांस पर भी चींटियों के चलने जैसा अनुभव होता है। शरीर का कोई भाग इस प्रकार के अनुभव से बचा नहीं रहता। त्वचा या अन्य भागों पर कभी ठंडी, कभी गर्म सूई भेदने का-सा अनुभव होता है। शरीर के जिस अंग में रुधिर की गति शिथिल होती है-कान, नाक, हाथ, अंगुलियां, अंगूठे आदि-उनमें चुभन-सी होती है, जलन-सी होती है। ऐसी चुभव तथा जलन मानो ये भाग ठंड से जम-से गये हों। इस लक्षण के होने पर किसी भी रोग में एगैरिकस औषधि लाभ पहुँचाती है क्योंकि यह इस औषधि का सर्वागीण अथवा व्यापक लक्षण है। अंगों में ठंडी-सुई की-सी चुभन में एगैरिकस तथा गर्म-सुई की-सी चुभन में आर्सेनिक औषधि है।

* जरायु का बाहर निकल पड़ने का-सा अनुभव – प्राय: स्त्रियों को शिकायत हुआ करती है जिसमें वे अनुभव करती हैं कि जरायु बाहर निकल-सा पड़ रहा है। वे टांगे सिकोड़ कर बैठती हैं। इस लक्षण को सुनते ही होम्योपैथ सीपिया, पल्सेटिला, लिलियम या म्यूरेक्स देने की सोचते हैं, परन्तु अगर उक्त लक्षण में मेरु-दण्ड के लक्षण मौजूद हों, तो एगैरिकस देना चाहिये। अगर जरायु के बाहर निकल पड़ने का लक्षण वृद्धा स्त्री में पाया जाय, और उसके साथ यह भी पता चले कि उसकी गर्दन कांपती है, सोने पर उसका कंपन बन्द हो जाता है, वह शीत-प्रधान है, यह अनुभव करती है कि उसके शरीर में गर्म या ठंडी सूई बँधने का-सा अनुभव है – अर्थात् जरायु बाहर निकलने के अनुभव के साथ एगैरिकस के अन्य लक्षणों की मौजूदगी में सीपिया आदि न देकर एगैरिकस औषधि को देना चाहिये।

* क्षय-रोग की प्रारंभिक अवस्था – एगैरिकस औषधि के रोगी को छाती में बोझ अनुभव होता है। खांसी के दौरे (Convulsive cough) पड़ते हैं और घबराहट भरा पसीना आता है। हर बार कि कह नहीं सकते कि रोगी खांस रहा है या छीक मार रहा है। एगैरिकस छाती के रोगों के लिये महान् औषधि है। इससे क्षय-रोग भी ठीक हुआ है। रोगी को छाती का कष्ट होता है, खांसी-जुकाम, रात को पसीने आते हैं, स्नायु-संबंधी रोग रोगी की पृष्ठ-भूमि में होते हैं। तेज खांसी आती है और हर बार खांसी के बाद छींकें आती हैं। खांसी के दौरों के साथ शाम को पसीने आते हैं. नब्ज तेज चलती है, खांसी में पस-सरीखा कफ़ निकलता है, रोगी की प्रात:काल तबीयत गिरी-गिरी होती है। इन लक्षणों के होने पर यह सोचना असंगत नहीं है कि यह क्षय-रोग की प्रारंभिक अवस्था है। इस हालत में एगैरिकस औषधि लाभ करती है।

* रोग के लक्षणों का तिरछे भाव से प्रकट होना - इस औषधि में विलक्षण लक्षण यह है कि रोग के लक्षण एक ही समय में तिरछे भाव से प्रकट होते हैं। उदाहरणार्थ, गठिये का दर्द दायें हाथ में और बायें पैर में एक ही समय में प्रकट होगा, या बायें हाथ और दायें पैर में। इसी प्रकार अन्य कोई रोग भी तिरछे भाव से प्रकट हो सकता है – रोग एक ही होना चाहिये !



एगैरिकस औषधि के अन्य लक्षण
* रीढ़ की हड्डी के रोग के विशेष रूप में आक्रान्त होने के कारण रोगी चलने-फिरने में बार-बार ठोकर खाकर गिर पड़ता है, हाथ में से बर्तन बार-बार गिर पड़ता है। बर्तन का हाथ से बार-बार गिर पड़ना एपिस में भी पाया जाता है, परन्तु दोनों औषधियों में भेद यह है कि एगैरिकस तो आग के पास बैठे रहना चाहता हैं, एपिस आग के सेक से परे भागता है।
* रीढ़ की हड्डी को दबाने से हँसी आना इसका अद्भुत लक्षण है।
* चलते समय पैर की एड़ी में असहनीय पीड़ा होती है, जैसे किसी ने काट खाया हो।
* गोनोरिया के पुराने रोगियों में जिनके मूत्राशय में मूत्र करते हुए देर तक खुजलाहट भरी सुरसुराहट बनी रहती है, और मूत्र का अन्तिम बूँद निकलने में बहुत देर लगती है – इस लक्षण में दो ही औषधियां हैं – पैट्रोलियम तथा एगैरिकस।
* रोगी घड़ी के लटकन की तरह आखें इधर-उधर घुमाता है। पढ़ नहीं सकता। अक्षर सामने से हटते जाते हैं। आँख के सामने काली मक्खियां, काले दाग, जाला दिखाई पड़ता है।
* बोलना देर में सीखने पर नैट्रम म्यूर दिया जाता है, चलना देर में सीखने पर कैल्केरिया कार्ब दिया जाता हैं, परन्तु बोलना और चलना दोनों देर में सीखने पर एगैरिकस दिया जाता है।
*इसका एक अद्भुत लक्षण यह है कि पेशाब करते हुए ऐसा लगता है कि मूत्र ठंडा है, जबकि मूत्र बूँद-बूँद निकल रहा होता है तब रोगी प्रत्येक ठंडे मूत्र-बूंद को गिन सकता है।

शक्ति तथा प्रकृति – 3, 30, 200 (औषधि ‘सर्द’- प्रकृति के लिये है)

No comments:

Post a Comment

SPONSOR 2

Tags

Accupressure Ache Addiction Alcohol Addiction Allergy Almond Amrood Anemia Arthritis Asthma August Tree Ayurved Ayurveda Ayurvedic Bath Ayurvedic Nuskhe Ayurvedic Remedies Ayurvedic Tips Baal Baalo Ka Jhadna Baldness Bath Bawaseer Bear Beard Beauty Tips Bedbugs Benefits of Barley Water Benefits of Warm Water Bitter Gourd Black Pepper Blood Blood Donation Blood Platelets Blur Sight Blurred Vision Body Pain Bones Brinjal Butter Calcium Cancer Cardamom Cauliflower Chana Charan Sparsh Chikungunya Child Cholesterol Cold Water Constipation Cough Couple Cow Milk Cracks Craneberry Curd Custody Daad Dadi Maa Ke Nuskhe Dahi Dark Circles Dark Spots Dates Deepak Dengue Dengue Fever Desi Upchaar Diabetes Diseases Diya Dizziness Eczema Eyes Face Marks Facial Fairness Fat Fat Loss Father Feet Feet Touching Fever Flakes Flu Foot Fruit Peels Fruits Garlic Garlix Gas Gharelu Nuskhe Ginger Green Vegetables Gudhal Hair Hairfall Haldi Harnia Headache Health Tips Heart Heartburn Height Hemoglobin Home Remedies Honey Hunger Ice Increase Hemoglobin Increase Hunger Indian Science Indian Treatments Infection Interesting Facts Itching Joint Pain Kali Mirch Kalonji Kari Patta Khajoor Kheera Kidney Kidney Failure Kidney Stone Kitchen Tips Knee Knee Pain Leucoderma Lichi Liver Mango Massa Meditation Memory Milk Miscellaneous Monsoon Mosquitos Nani Maa Ke Nuskhe Nazla Neck Neem Nipah Virus Obesity Olive Oil Over Eating Over Weight Pain Papaya Paralysis Partner Peels Pigmentation Piles Pimples Pooja Luthra Pregnancy Psoriasis Radish Rainy Season Reproduction Rice Salad Salt Water Shaving Skin Cancer Small Tits Sperm Stomach Stomach Ache Stomach Pain Stone Stress Sugar Sugarcane Juice Swelling Teeth Tension Thick Sperm Throat Thyroid Tits Tulsi Turmeric Turmeric Water Varicose Veins Vastu Tips Vegetables Vidarikand Vinegar Vitamin D Waist Pain Warm Water Water Women Worms Yellow Teeth खटमल खांसी जटामांसी दाद बादाम लीवर वर्षा ऋतु