मध्य और पश्चिम भारत के वनों में कंटीली झाडियों वाला पौधा करौंदा प्रचुरता से उगता हुआ देखा जा सकता है। कच्चे करौंदों का अचार बेहद स्वादिष्ठ होता है जबकि पके हुए करौंदों का मुरब्बा बेहद स्वादमय होता है। विटामिन ष्ट से भरपूर करौंदा का वानस्पतिक नामक कैरिस्सा कैरंडस है। आदिवासी कच्चे करौंदे की सब्जी भी तैयार करते हैं और इसे अनेक पारंपरिक नुस्खों में अपनाते भी हैं। करौंदा एक झाड़ की तरह पौधा होता है पेड़ कांटेदार और 7 से 8 फुट तक होते हैं। करौंदा विटामिन C प्रचुर मात्रा में होने के साथ-साथ अत्याधिक एंटी-ऑक्सीडेंट भी होता है करौंदा के वृक्ष दो प्रकार के होते हैं। एक प्रकार के करौंदों में छोटे फल लगते हैं। दूसरी प्रकार के करौदें में बड़े करौंदे लगते हैं करौंदा विटामिन E तथा K का भी अच्छा स्त्रोत है| करौंदा के औषधीय गुण- स्कर्वी रोग की रोगथाम के लिए करौंदा एक प्रमुख पारंपरिक हर्बल उपाय है। माना जाता है कि अक्सर करौंदा की सब्जी और चटनी खाने से और गर्मियों में पके करौंदा का जूस पीने से स्कर्वी रोग की बेहतर रोकथाम की जा सकती है। आधुनिक शोधों से जानकारी मिलती है कि विटामिन ष्ट की अधिकता होने की वजह से स्कर्वी के लिए यह एक बेहतर उपाय है। जिन्हें रक्त अल्पता की शिकायत है उन्हें पके हुए करौंदा का जूस पीना चाहिए। डाँग- गुजरात के आदिवासियों के अनुसार प्रतिदिन रोज एक बार एक गिलास करौंदा का जूस पीने से शरीर में रक्त शुद्दि के साथ-साथ खून की मात्रा में भी काफी इजाफा होता है।
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